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________________ षष्ठः सामान्यविभागः ____ 426 * अन्तरनाम से अन्तरं चैव मध्यं चाऽवकाशार्थे हि कथ्यते // 2655 // * समाननामानि * समान:' सन्निभ स्तुल्यं, सहक्षः सदृशः सह / साधारण: सधर्माच, सवर्णः सरूप:१० समः // 2656 / / स्यादत्तरपदे भूतः', प्रख्य२ श्च प्रतिमो निभः / प्रकाश: प्रतिकाश च, प्रतीकाश स्तथोपमा // 2657 // प्रकार श्चाथनीकाशः१., सङ्काशो रूपमेव च / तदापि सदृशार्थकत्वमायात्येव न संशयः // 2658 // * उपमावाचका: * प्रौपम्य' मुपमान मुपमिति स्तथोपमा / अनुकारो ऽनुहार श्च, साम्यं कक्षा तथा तुला // 2656 // उपमा वाचका एते, सर्वे शब्दा भवन्ति / . * प्रतिमानामानि * प्रतिमा' प्रतिमान ञ्च, प्रतिकायः प्रतिकृतिः // 2660 / / प्रतिच्छाया प्रतिच्छन्दः६, प्रतिरूपं प्रतिनिधिः८। / प्रतिबिम्ब प्रसिद्धं वै, तथाऽर्वा' प्रतियातना // 2661 / /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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