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________________ ग्रन्यकार का परिचय . (3) जोधपुर में 'शाश्वतजिन समवसरण मन्दिर' का निर्माण हुआ। (4) नाडोल में 'श्रीसिद्धचक्र मन्दिर', 'श्रीपावापुरी मन्दिर' का तथा लघुशान्ति के कर्ता श्रीमान देवसूरिजी म. सा० का जावन-चरित्र पारस के पट्ट में तैयार हो रहा है। (5) श्रीजैसलमेर पञ्चतीर्थी में जिनमन्दिरों का जीर्णोद्धार का काम चल रहा है। (6) जावाल में 'श्रमण भगवान महावीर कोत्तिस्तम्भ' का कार्य शुरू कराया है। (7) खिमाड़ा में 'स्व० प्रा० श्रीमद्विजयलावण्यसूरीश्वरजी समाधिसद्गुरुमन्दिर' का काम हो गया है। (8) शूरगांव में जिनमन्दिर के पास श्रीसुशील जैन श्वेताम्बर धर्मशाला (जिला-उदयपुर) तैयार हुई है। प्रापश्री का ग्रंथ सर्जनादि संस्कृत मेंतीर्थङ्कर चरित्र. षड्दर्शन दर्पण, सुशील नाममाला (संस्कृत शब्दकोश) छन्दोरत्नमाला, काव्यानुशासन टीका, शीलदूतवृत्ति, अर्हन अष्टोत्तरसहस्रनाम स्तोत्र, आत्मनिन्दा द्वात्रिशिका टीका, 'श्रीरत्नाकर पञ्चविंशिका टीका इत्यादि हुए हैं। गूर्जर भाषा मेंश्रीहेमशब्दानुशासन सुधा, रत्ननोमाला, सम्यक् रत्न दीपक, प्रभु महावीर जीवन सौरभ, तीर्थयात्रा संघनी महत्ता, सुशील लेख संग्रह, सुशील साहित्य संग्रह इत्यादि हुए हैं। [छोटे-बड़े 108 ग्रंथों की रचना प्रापश्री ने की है, और अनेक ग्रन्थों का सम्पादन कार्य भी आपश्री के द्वारा हुआ है।]
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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