SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 442
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः 361 * शुकस्यनामानि ॐ रक्ततुण्डः' शुक:२ कोरः, श्रीमान् वै प्रियदर्शनः // 2423 // मेधातिथि श्च मेधावी , वाग्मी फलादनः पुनः / शुकस्य नवनामानि, कथ्यन्ते कोविदः किल / / 2424 / / (r) सारिकानामानि (r) शारिका' सारिका चैव, गोराटी गोकिराटिका / पीतपावा च नामानि, सारिकायाः भवन्ति वै // 2425 // (r) चर्मचटकानामानि 8 जतूका' जतुका' चर्मचटका' ऽजिनपत्रिका / प्रजिनपत्रा' नामाऽपि, जतुकाया श्च कथ्यते // 2426 / / __ वल्गुलिकानामानि (r) वल्गुलिका' परोष्णी च, मुखविष्टा निशाटनी / तैलपायिका' नामाऽपि, जतुकाभेद उच्यते // 2427 // * करेटुनामानि ॐ करेटुः' कर्करेटु' श्च, करटुः कर्कराटुकः / कर्कराटु' श्च नामानि, करटोः संभवन्ति वै // 2428 // - ॐ शरारिनामानि * माटि राटो शराटि इच, शराडि: शरारि स्तथा।
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy