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________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः 356 356 * वृश्चिकनामानि 8 वृश्चिक' श्च गुणो द्रोण', श्चाऽऽलि राली' ह्यलि' व॑तः / प्रलं' वृश्चिक पुच्छामे, कण्टकं विषवाहकम् // 2185 / / * भ्रमरनामानि * भ्रमरो' भसलो भृङ्गो, द्विरेको मधुकृत् पुनः / मधुकर श्च रोलम्ब, श्चञ्चरीक:८ शिलीमुखः // 2186 // पलि१० रिन्दिन्दिर'' इंचाऽली१२, षट्चरण' 3 श्च षट्पदः१५ / षडंहि'५ श्चेति नामानि, मन्यन्ते भ्रमरस्य वै // 2187 / / तद्भोज्यं पुष्प-मधुनी, तस्मान् मधुव्रत' श्च सः / पुष्पन्धय श्च पुष्पलिट्', मधुपो मधुलिट् तथा // 2188 // . . खद्योतनामानि * खद्योतो' ध्वान्तचित्र इच, ज्योतिर्माली तमोमणिः / कोटमणि स्तथा ज्योति -रिङ्गण श्च परार्बुदः // 2186 / / पुननिमेषद्युत् चेति, नामानि कथयन्ति वै। * पतङ्गनाम 8 . . पतङ्गः' शलभः 2 ख्यातो, दीपज्योतिषि भ्राम्यति // 2160 / / ___* मधुमक्षिकानामानि * मधुच्छत्रे बसेत् क्षुद्रा', सरधा मधुमक्षिका /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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