________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः 346 * विभिन्नधान्यनामानि * : - . यवो' हयप्रियो लोके, तीक्ष्णशूक श्च स स्मृतः / ..... / स एव हरित स्तोक्मः', कथ्यते कोविदः किल / / 2106 // .... / मङ्गल्यको' मसूर: स्यात्, सातीन' स्तु:सतीनकः / . . . . . कलायः खण्डिक इचैव, हरेणु स्त्रिपुटः पुनः // 2110 // / ... प्रसिद्ध श्चणक' श्चक, हरिमन्थक उच्यते। . . . . माष' श्च मदनो 'वृष्यो, नन्दी बीजवरो' बली' / / 2111 // / ' एतन्नामानि मन्यन्ते, माषस्य हि महीतलें / . . . पुन मुद्गो' 'बलाट श्च, प्रथनो हस्तिो हरिः / / 2112 // 1. लोभ्यः श्चेति हि नामानि, पुनरत्र विशेषतः / / / / पोते ऽस्मिन् शारद' चैब, खण्डोर' श्च ज़यो- वसुः // 2113 / / प्रवेल' श्च पुनः कृष्णे, प्रवरों' हरिमन्थनः / 5 / / वासन्तः शिम्बिक श्चैव वनमुद्गे, निगूढक:' / / 2114 / / : 14 कुलीनक स्याखण्डी, तुबरक्रः असिद्धकः / / 8 / एतन्नामानि सर्वाणि; मुद्गस्य प्रथ्यन्ति वै।।२.११५॥ . 1: / प्रथ व राजमुद्गश्च, मकुष्ठको मयुष्ठकः / 8... / मकुष्टकोण काकूष्टको मुकुष्टको मयुषटकः // 2116 // // 11 // मयष्टकोम मपाठ इच, मंगष्टकोने सपुष्ठकका '' / मपुष्ठति नामानिनमपुष्ठस्य मुवन्तिा लि .