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________________ चतुर्थस्तिर्यविभाग: 264 * गन्धकनामानि * गन्धाश्मा' गन्धक श्चैव, सौगन्धिक श्च गन्धिक:४ // 1830 // शुल्वारिः५ शुकपुच्छ श्च, पामारिः पुनरित्यपि / कुष्ठारि श्चेति नामानि, मन्यन्ते गन्धकस्य वै // 1831 // * हरितालनामानि * पालं' तालं च वङ्गारिः३, हरिताल बिडालकम् / विस्रगन्धि' च गोदन्तं", गोपित्तं वंशपत्रकम् // 1832 // खर्जूरं पिजरं चापि, लोमहृद्'२ नटमण्डनम् / पीतनं 4 चेति नामानि, तालस्य सम्भवन्ति वै // 1833 // * मन:शिलानामानि * मनःशिला' मनोगुप्ता, मनोह्वा नागजिबिका / नागमाता तथा गोला, शिला च रसनेत्रिका // 1834 // करवीरा च नेपाली', नेपाली'' कुनटी 12 तथा। रोचनी१३ चेति नामानि, शिलायाः सम्भवन्ति वै // 1835 // . * सिन्दूरनामानि * सिन्दूरं' चीनपिष्टं च, नागरक्त च नागजम् / शृङ्गारभूषणं चैव, शृङ्गार मपि मन्यते // 1836 //
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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