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________________ चतुर्थस्तिर्यविभागः 261 * कुलाचलपर्वतनाम * कुलाचलगिरे र्नाम सुदारु:' पारियात्रिकः / * लोकालोकपर्वतनाम * चक्रवालो' गिरे नाम, लोकालोक श्च कल्पितः // 10 // * मेरुपर्वतनामानि * रत्नसानुः' सुमेरु२ श्च, मेरु' श्च कणिकाचलः / स्वगिगिरि श्च स्वगिरिः६, काञ्चनगिरि रुच्यते // 1781 // * शिखरनामानि * शृङ्ग' च शिखरं' कूटं त्रीणि नामानि सन्ति वै / . * भृगुनामानि ॐ भृगोर्नामानि प्रोक्तानि, प्रपात' श्चाऽतटो भृगुः // 1782 // ॐ मेखलानामानि / नितम्बो' मेखला नाम, कटको गिरिमध्यभाक् / ' * कन्दरनामानि ॐ प्रोक्तं कृत्रिमो गृहा, दरी' च कन्दरो ऽपि वै // 1783 // __* गह्वरनाम के गुहा' च गह्वरं मामा,-ऽखातबिले हि कथ्यते /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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