SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 338
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चतुर्थस्तिर्यविभाग: 287 * मणिकनाम * महत्पात्रं जलस्योक्त, मरिणको' लिजरों द्वयम् / __* गर्गरीनामानि * कलशी' गर्गरी दनो, मन्थनी प्रथिता सदा / / 1756 // ॐ मन्थदण्डकनामानि * मन्थो' मन्था२ श्च मन्थान स्तथा च मन्थदण्डकः / खज' श्च खजक: क्षुब्धो , वैशाख श्च प्रसिद्धयति // 1760 // एतन्नामानि मन्यन्ते, दधिमन्थनसाधने / * दण्डकटकनामानि * अस्य च दण्डकटक', स्तथा दण्डकरोटकम् // 1761 // विष्कम्भः कुटक* इचैव, कुटर:५ कुठर स्तथा। मजोर" चापि मन्दीरं, नामान्यष्टौ भवन्ति वै // 1762 // ॐ शरावनामानि * . वर्धमान:' शराव इच, शालाजीरो ऽपि कथ्यते / . * पानभाजननामानि * कोशिका' मल्लिका कंसः, पारी' च पानभाजनम् // 1763 // चषक श्चापि कथितो, लघौ जलादिपात्रके /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy