________________ चतुर्थस्तिर्यगविभागः // चतुर्थस्तिर्यविभागः // तत्र * पृथ्वोकायनामानि * विश्वा' विश्वम्भरा भूमि, वसुमती वसुन्धरा / उर्वी' धात्री धरित्रीच, धरणी धरणि धरा'' // 1585 // स्थिरा१२ क्षमा 3 च क्षमा१४ क्षान्ता 5, क्षोणी१६ क्षोणिः१७ क्षिति१८ महो / मेदिनी२० पृथिवी२१ पृथ्वो२२, . काश्यपी२३ कु.२४ श्च केलिनी२५ // 1586 // भूतधात्री२६ घनश्रेणी२७, मौलि२८ मेद्रिकणिका२६ / मध्यलोका महांकान्ता,रत्नगर्भाउ२ऽचला33रसा३४ // 1587 // सागरमेखला३५ ज्या३६ वै, वसुधा सागराम्बरा 8 / समुद्रवसना३६ भू० श्च, समुद्ररशना 1 तथा // 1588 // गोत्रा 2 सागरनेमी 3 च, गोत्रकीला 4 जगद्वहा५ / प्रवनि४६ श्चावनो४७ गो४८, . गौ:४६ बीजसूः५० रत्नसू' स्तथा // 1586 / / रत्नवती 2 महास्थाली५३, जगती५४ चाम्बरस्थली५५ / विपुला५६ पर्वताधारा५७ गन्धमाता५८ च देहिनी 56 // 1560 //