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________________ सुशीलनाममालायां ............ ....... (10) आचार्य श्री रामचन्द्रसूरि म० सा० ने 'देश्य निर्देश निघण्टु' नामक कोष की रचना की है। (11) प्राचार्य श्री जिनदेवसूरि म. सा. ने श्री अभिधानचिसापरिण कोश के पूरक रूप में 'शिलोञ्छनाममाला' नामक कोष की रचना . (12) प्राचार्य श्री पुग्यरत्नमरि म. सा. ने 'यक्षरकोश' को रचना की है। (13) प्राचार्य श्री हर्षीतिसूरि म० सा० ने 'नाममाला कोष' तथा 'लघनाममाला कोष' की रचना की है। (14) तपागच्छाचार्य श्री सूरचन्द्रसूरि म. सा. के शिष्यरत्न श्री भानुचन्द्रविजयजी ने 'नामसंग्रहकोश' की रचना की है। (15) वाचनाचार्य श्री साधुसुन्दरगरिएवर ने 'शब्दरत्नाकर कोष' की रचना की है। . (16) प्रा० श्री राजेन्द्रसूरि म. सा. ने अभिधान राजेन्द्र कोष' की सात भाग में रचना की है। . (17) प्रागमोद्धारक प्राचार्य श्री प्रानन्दसागरसूरि म० सा० ने 'अल्प परिचित सैद्धान्तिक शब्दकोष' तथा 'लघुतम नाम कोष' की रचना की है। (18) स्थानकवासी पंडित मुनि श्री रत्नचन्दजी शतावधानी ने 'जैनागमशब्द' प्राकृत भाषा के लघुकोश की रचना की है। तदुपरान्त 'अर्द्धमागधी कोश' की भी रचना की है। (19) पंन्यास श्री मुक्तिविजयजी गणो ने 'शब्दरत्नमहोदधि (संस्कृत-गुजराती) कोश अन्य की रचना दो भागों में की है। (20) 'पाइग्रज सद्दमहण्णवो' (प्राकृत शब्द-महार्णव) कोष की रचना जैन पंडित श्री हरगोविन्वदास ने की है।
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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