________________ 809009087088 सुशीलनामाला समीक्षा [रचयिता-गिरीशकुमार परमानन्द शाह 'कल्पेश' ध्रांगध्रा वाले] नत्वा बोरं गुरु भक्त्या , जननी जनकं तथा। सुशोलनाममालायाः, समीक्षा विख्यते मया // 1 // नाममाला रमा रम्या, समुत्पन्ना श्रुतार्णवात् / नवयौवन संप्राप्ता, सुशील स्वान्तसनि // 2 // विदिता विश्वविश्व या, जगदाश्चर्यकारिणी। कवित्वजननी ह्यषा, शब्दकल्पद्रुमोपमा // 3 // प्रशस्तगुणयुक्ता या, कवीनां हितकारिणी। गुम्फिता नाममाला सा. सुशोलसूरिणा मुदा // 4 // मनुजभुवी सुधेयं शब्दमाधुर्ययुक्ता, सफलकविजनानां हर्षदा नाममाला। गुरुपदकजयुग्मे यापिता भक्तिभावाजगति विजयते सा विस्तृता कोशरूपा // 5 // गुरूणामादेशात् प्रथितयशसा जैनमुनिना, प्रणीता सम्पूर्णा विविविधवरणः सूकविना / प्रशस्ता मालेयं प्रकृतिसूभगा शब्दप्रसवैः, प्रसादाद् भाषाया प्रपरतिसमस्तेऽत्र भुवने // 6 // अहो ! नाम्नां माला कविकुलमनोरञ्जनपरा, जगद्विद्वन्मान्या परमरमरणीया कृतिरियम् / प्रमोदालोकेऽस्मिन् बुधजनसभायां नुतिपदैः, सशब्दानां व्यासात् समुदयति कत्ति सुविमलाम् // 7 // विशिष्ट : शब्दर्या श्रुतजलनिधेनौरनुपमा, धृता चित्ते पारं गमयति सदा दक्षनिकरान् / कवीनां वकतणां नयति विलय क्लेशमखिल, तनात्युत्कर्ष सा जिनपकृत तीर्थस्य सततम् // 8 //