________________ / / ॐ ह्रीं अर्ह नमः / / वन्दे शासनसम्राट् श्री-नेमि पूरि जगद्गुरुम् / / शब्दसाहित्यसम्राट् श्री-लावण्यसूरिसदगुरुम् / / 1 / / // श्री सुशीलनाममालाशीर्वादाष्टकम् // [कर्ता-धर्मप्रभावकः प० पू० प्रा० श्रीमद्विजय दकसूरीश्वरः] श्रतभक्तचनुरागेण, श्रतदेवीप्रसादतः / गुरुकृपाप्रभावाञ्च, शब्दरत्नरलङ्कृता॥१॥ कवीनां शनाशाय, काव्यकौशल्यकारिणी। गुम्फिता स्वान्यबोधाय, "नाममाला" मनोरमा // 2 // हृत्कोष स्थापनीयैषा, पठनीया पुन: पुनः / कविप्राणप्रिया लोके, नाममाला सदा भूयात् // 3 // प्रशस्योऽयं प्रयासो हि, प्रमोदाद् गुणरागिभिः / कमनीयाऽऽवकार्येयं, कृतिः सुकृतिभिः सदा / / 4 // निरभ्र गगने चन्द्रो, राकायां राजते यथा / तथैव नाममालयं, शब्दकोशनभस्तले // 5 // एकाक्षरार्थसम्पृक्ता, शेषशब्दः समन्धिता। एकवृत्तात्मिका प्रोक्ता, षड्काण्डेषु विभाजिता // 6 // श्रीकलिकाल सर्वज्ञ-हेमचन्द्रारव्यसूरिणः / रूढ-यौगिकमित्रैक- नाममालानुसारिणी // 7 // सुशोलनाममालेषा, सुशीलसूरिणा कृता। जैनेन्द्रशासनस्यैव, वितनोतु प्रभावनाः // 8 // [2504 श्रीवीराब्दे का० 0 5 गुरुपुष्यामृत-सिद्धियोगे दक्षसूरिः / ]