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________________ 144 सुशीलनाममालायां ग्रीवानामानि * . .. धमनि' कन्धरा ग्रीवा, शिरोधि ३च शिरोधरा / रेखा त्रयवती सैव, कम्बुग्रीवा निगद्यते // 642 // * शिर:पीटनामानि * पुंखियो खटुः' ख्यातः, घाटा इचव कृकाटिका / तदर्थे च शिर: पीठ पण्डितैः समुदाहृतम् // 643 // कृकः' स्यात् कन्धरामध्यं, कृक पाश्वौं तु वोतनौ' / ग्रोवाधमन्यौ प्राग् नीले', पश्चान् मन्ये' कसम्बिके 2 // 644 // .. * कण्ठनामानि * गलो' निगरण श्चैव, कण्ठः कण्ठस्य कथ्यते / . * कण्ठमणिनाम * . मन्ये कण्ठमणिर्नाम, काफलक' श्च काकल:२ // 645 // * स्कन्धनामानि * स्कन्धो' भुजशिर श्चांसो', भुजशिखर मुच्यते / * जत्रुनाम * सन्धिकरों ऽसगः जत्रु.', उच्यते जगती जनैः // 946 // * बाहुनामानि * . बाहु' हा भुजो दो इच, प्रवेष्ट: कथ्यते पुनः /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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