________________ 114 सुशीलनाममालायां रमणी सुन्दरी चैव, प्रमदा स्त्रीविशेषकाः। .. प्रङ्गानि सुन्दराण्यस्याः, सा भवेत् सुन्दरी सदा // 788 // क्रोडावती च रामा स्यात्. रमणो चापि कथ्यते / क्रीडन्ती ललना प्रोक्ता सुन्दराऽवयवाऽङ्गना // 786 // मनोज्ञा सर्वलोकानां, चित्ताकर्षणाकारिका। वामाक्षी' च मृगालो' च, मत्तेभगमना' पुनः // 760 // तरललोचना' ख्याता, सुस्मिता' चाऽलसेक्षणा। वरारोहा ऽपि प्रख्याता, तथैव वरवणिनी // 761 // प्रतीपदर्शिनी क्वापि, काव्ये शास्त्रे निरूपिता। लीला' शृङ्गारचेष्टा स्यात्. मानः' स्त्रीणां धनं स्मृतम् // 762 // स्मरः कामर्थक श्चापि मनोविलास इत्यपि / एतस्मादयि नामानि, स्त्रीणां भवन्ति कानिचित् // 73 // लीलावती' स्मरवती, मानिनी नाम जायते / मनोविलासवत्यादि,-नाम काव्ये समोरितान् // 764 // * स्त्रीणां स्वाभाविकोऽलङ्कारः * विलासो' ललितो लोला विभ्रमो विहृतं तथा / विव्वोक श्चापि विब्बोको', विच्छित्तिः किलिकिश्चितम् // 79 // कूटटुमितं तथा मोट्टा-यितं 1 मोटायितं च हि / एवा सर्वाऽपि स्त्रीणां स्वा,-भाविकालङ्कृति भुवि // 766 //