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________________ तृतीयो मर्त्य विभागः खलपू नाम निर्देशः, भारवाह' स्तु भारिकः / पुन तिवहे ' वैवधिको विधिक स्तथा // 538 // किल वीवधिक श्चेति, भारे' विवध-२ वीवधौ / शिकर्य' काच स्तदालम्बो, भारयष्टि' विङ्गिका // 536 // तथा विहङ्गमा चेति, विबुधै कथ्यते खलु / * वीरनामानि * स्याद् वै धीर' श्च विक्रान्तः३, शूर' श्चारभट स्तथा // 540 / / ____ * भीरुनामानि * अथ स्याद् भीरुको भीरुः२, झोत च भीलुक 4 स्तथा / कातर' चकित खस्त:, सश्च दरित' स्तथा // 541 / / ध्यग्रः' स्याद् व्याकुल' श्चैव, विहस्तो ऽपि तथैव च / कान्दोशिकोः' भयQते, समुत्पिञ्ज' स्तु पिञ्जलः२ // 542 // उत्पिञ्जल स्त्रयश्चैते, मन्तव्या भृशमाकुले / / .. . * उदारनामानि * प्रथोद्भटो' महेच्छ' स्यान्, महात्मा च महाशयः // 543n तथोदारो' ऽप्युदीर्णो वै, उदात्त श्च महामनाः /
SR No.004481
Book TitleSushil Nammala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijaysushilsuri
PublisherSushilsuri Jain Gyanmandiram
Publication Year1988
Total Pages878
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size36 MB
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