________________ देव द्रव्यादि की बोलि बोलने वाले के कर्तव्य प्रत्येक महानुभावो का कर्तव्य है कि महोत्सवादि के प्रसंग में प्रथम पूजा वगेरे करने की तथा पर्दूषण में स्वप्नाजी झुलाने इत्यादि की बोली बोली जाती है। उसमें रुपये आदि से जो महानुभाव चढ़ावा लेते है और प्रथम पूजादि का लाभ प्राप्त करते है उनको प्रथम पूजादि का लाभ लेने के पहले ही या पश्चात तुरंत ही बोली के रुपये संघ की पेढ़ी में भर पाई करना चाहिए; कुछ महिने या सालभर के बाद ही पैसे देने होवे तो ब्याज सहित देने चाहिए। जिससे देव द्रव्यादि द्रव्य के भक्षण का पाप नहीं लगे। तुरंत ही पैसे संघ की पेढ़ी में भर-पाई करने से वे पैसे बैंक में रखने से ब्याज चालु हो जाता हैं कई साल तक चढ़ावे के पैसे भर पाई न करने वाले जब पैसे चुकाते है तब ब्याज देते ही नहीं इस कारण उनको देव द्रव्यादि के भक्षण का बड़ा भयंकर दोष लगता है। . __. व्यवहार में भी कोई आदमी किसी को ब्याज से रुपये उधार देता है तो उधार लेने वाले एक सप्ताह में ही वापिस वे रुपये लौटा देता है तब उधार देने वाला एक महिने का पूरा ब्याज ले लेता है न केवल सप्ताह का; तो फिर वह बोली आदि के पैसे तुरंत न चुकावे, कई महिनों या सालों के बाद चुकावे वे भी बिना ब्याज के; यह कितना अनुचित