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________________ . 28 अनुकम्पा में ही हो सकता है दूसरे कार्यों में नहीं तथा सात क्षेत्र में भी नहीं हो सकता। * जीवदया द्रव्य - निराधार पशु पंखीओं के जीवन का रक्षण के लिए समर्पित किए गए द्रव्य को जीवदया द्रव्य कहा जाता है। उसका उपयोग पांजरापोल परबड़ी वगेरे तमाम जीवदया सम्बन्धी कार्यों में तथा मरते जीवों को बचाने में बुड्ढे लुले लंगड़े और निराधार पशु पक्षियों के रोग दूर करने में तथा उनके जीवन-निर्वाह के लिए . खर्च कर सकते है दूसरे कोई भी कार्यो में तथा मनुष्य के उपयोग में यह द्रव्य नहीं ले सकते तथा सात क्षेत्र में भी नहीं ले सकते। यह द्रव्य मात्र जानवरादि जीवों की दया के लिए ही है। देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य का संवर्धन कैसे करना? देव द्रव्यादि द्रव्य की वृद्धि करनी होवे तो शास्त्र के अनुसार से करनी चाहिये। विवेक विलास ग्रन्थ में कहा है कि देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य किसी को भी ब्याज में उधार देना हो तो सोने चांदी के जेवर तथा जमीन जागीरदारी के ऊपर देने चाहिए। न कि अंग उधार। बिना जेवर जमीन आदि के लिए देव द्रव्यादि धर्म द्रव्य को उधार में देने से द्रव्य डूब जाने की ज्यादातर संभावना रहती है।
SR No.004477
Book TitleDevdravyadi Vyavastha Vichar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansuri
PublisherParshwanath Jain Shwetambar Mandir Trust
Publication Year
Total Pages72
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size5 MB
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