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________________ प्रकरण ग्रन्थ के अनुसार द्रव्य सप्ततिका ग्रन्थ में महोपाध्याय श्री लावण्य विजयजी ने इस तरह बताया अहिगारीय गिहत्थोमुयणो वितमंजुम्गोकुलजो। अखुद्दो धिइबलीयो मइमं तह धम्मरागी य / गुरुपूआकरणरह - सुस्सुसाईगुणसंगओ चेव / आयाहिगयविहाणरस धणियमाणपहाणो य / वास्तवमें ऐसे गुणवाला श्रावक देव द्रव्यादि धर्म - द्रव्य का और धर्म स्थानों का वहीवट करने में अधिकारी कहा गया है। (1) जिसका स्वजन कुटुंब अच्छा तथा निर्धन न हो। धर्म विरुद्ध और लोक विरुद्ध कार्य नही करने वाला कुटुंबअच्छा कुटुंब कहा जाता है। ऐसे कुटुंबवाला धर्मद्रव्य तथा धर्मस्थानों कावहीवटकरेतो उसके शुभ - भावों की वृद्धि हो सके। अन्यथा कुटुंब के सदस्य धर्म
SR No.004475
Book TitleSavdhan Devdravya Vyavastha Margadarshak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVichakshansuri
PublisherKumar Agency
Publication Year1994
Total Pages34
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size3 MB
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