________________ दु:खदायी दुर्गतियों के गहरे खड्डे में गिरे नही / ___ जैन शासन में सारे वहीवटदार लोग सही तर पर वहीवटी कार्य करके उत्तम कोटी का पुण्य लभ उठावे इसी हेतु हमारा यह पुस्तक प्रकाशन कार्य है। यह पुस्तक एकध्यान से पुन: वांचकर जिनाबा मुताबिक समस्त ट्रस्टी वर्ग वहीवटी कार्य सही ढंग से करें / यही हमारी शुभ अभिलाषा है। देव द्रव्यादि की बोली बोलने वालों के कर्तव्य प्रत्येक महानुभावों का कर्तव्य है महोत्सवादि प्रसंग पूजा वगेरे करने की तथा पर्दूषण में स्वप्नाजी झुलाने इत्यादि की बोलीयां बोली जाती हैं। उसमें रुपये आदि से जो महानुभाव चढ़ावा लेते हैं और प्रथम पूजाद का लाभ प्राप्त करते हैं / उनको प्रथमपूजादि का लभ लेने के पहले ही या पश्चात बोली के रुपये तुरंत रघ की पेढी में भर पाई करना चाहिए | कुछ महिने या सालभर के बाद ही पैसे देने होवे तो ब्याज सहित ने SO980