________________ ( 63 ) श्राद्धानां हिंसाऽलीका-ऽदत्तमैथुनपरिग्रहनिवृत्तिः। एतानि पश्चाऽणुव्रतानि, साधूनां महाव्रतान्येतानि // 275 // दिसिविरइ भोगउवभो-गमाण तह णत्थदंडविरई // समइयदेसावगासिय-पोसह तिहिसंविभागवया // 276 // दिग्विरति गोपभोग-मानं तथाऽनर्थदण्डविरतिश्च / सामायिकं देशावकाशिकं, पौषधोऽतिथिसंविभागोव्रतानि 276 जिणकप्पियाण बारस, चउदस थेराण सबतित्थेसु / पणवीस अज्जियाणं, उवगरणमुवग्गहिअमुवरिं // 277 // जिनकल्पिकानां द्वादश, चतुर्दश स्थविराणां सर्वतीर्थेषु / पञ्च विंशतिः साध्वीना-मुपकरणमौपग्रहिकमुपरि // 277 // पत्तं पत्ताबंधो, पायट्ठवणंच पायकेसरिया।। पडलाइ रयत्ताणं, च गुच्छओ पायनिज्जोगो // 278 // पात्रं पात्रबंधः, पात्रस्थापनं च पात्रकेशरिकाः। पटलानि रजत्राणं, च गोच्छकः पात्रनिर्योगः // 278 // तिन्नेव य पच्छागा, रयहरणं चेव होइ मुहपत्ती। .. बार जिणकप्पियाणं, थेराण समत्तकडिपट्टा // 279 // त्रय एव प्रच्छादका-रजोहरणं चैव भवति मुखपट्टी / द्वादश जिनकल्पिकानां, स्थविराणां समात्रकटिपट्टाः // 279 // उग्गहणंतगपट्टो, अद्धोरू चलणिआ य बोधवा / अभिंतरवाहिनियं-सणी अ तह कंचुए चेव // 280 //