________________ ( 43 ) ऋषभस्य च शकटमुखे, ऋजुवालुकानदीतटे वीरस्य / शेषजिनानां ज्ञान-मुत्पन्नं पुनर्ब्रतवनेषु // 185 // नग्गोह 1 सत्तवन्नो 2, साल 3 पिआलो 4 पियंगु 5 छत्ताहे 6 / सिरिसो 7 नागो 8 मल्ली 9, पिलुंख 11 तिंदुयग 11 पाडलया 12 // 186 // जंबू 13 असत्थ 14 दहिव-न्न 15 नंदि 16 तिलगा य 17 अंबग 18 असोगो 19 / चंपग 20 बउलो 21 वेडस 22, धाइअ 23 सालो अ 24. नाणतरू / / 187 // न्यग्रोधः सप्तपर्णः, शालःप्रियालःप्रियंगुः छत्राभः / शिरीपोनागोमल्लीः, पिलुङ्क्षतिन्दुकपाटलिकाः // 186 // जम्ब्वश्वत्थदधिपर्ण-नन्दीतिलकाश्चाम्रकोऽशोकः / चम्पकबकुलौ वेतस-धातकीसालाश्च ज्ञानतरवः / / 187 // ते जिणतणुबारगुणां, चेइअतरुणो वि नवरि वीरस्स | चेइअतरुवरि सालो, एगारसधणुहपरिमाणो // 188 // ते जिनतनुद्वादशगुणा-श्चैत्यतरवोपि नवरं वीरस्य / चैत्यतरूपरि शाल-एकादशधनुःपरिमाणः // 188 / / अट्ठमभत्तंमि कए, नाणमुसहमल्लिनेमिपासाणम् / वसुपुजस्स चउत्थे, सेसाणं छट्ठभत्ततवो // 189 // अष्टमभक्ते कृते, ज्ञानमृषभमल्लिनेमिपाज॑नाम् / वासुपूज्यस्य चतुर्थे, शेषाणां षष्ठभक्ततपः // 189 //