________________ ( 41 ) छ दुमासिअ टु दिवड्डय-मासिअ वारस तहेगमासी अ / बावत्तरद्धमासिअ, पडिमा बारट्ठमेहिं च // 176 // दो चउ दस खमणेहिं, निरंतरं भद्दमाइपडिमतिगं / दुसयगुणतीस छट्ठा, पारणया तिसयगुणवन्ना // 177 // व्रतदिनमेकं पूर्ण, पाण्मासिकं द्वितीयं पञ्चदिनोनम् / नव चातुर्मासिकानि, द्वेत्रिमासिके सार्द्धद्विमासिके द्वे // 175 / / षड्विमासिकानि द्वे सार्द्ध-मासिके द्वादश तथैकमासिकानि / द्विसप्ततिरर्द्धमासिकानि, प्रतिमाद्वादशाष्टमैश्च // 176 // द्विचतुर्दशक्षपणे-निरन्तरं भद्रादिप्रतिमात्रिकम् / द्विशतैकोनत्रिंशच्छष्टानि, पारणकानि त्रिशतैकोनपञ्चाशत् / 177 / वीरु 1 सहाण 2 पमाओ, अंतमुहुत्तं तहेव होरत्तं / उवसग्गा पासस्स य, वीरस्स य न उण सेसाणं // 178 // वीरर्षभयोः प्रमादो-ऽन्तर्मुहूर्त तथैवाहोरात्रम् / उपसर्गाः पार्श्वस्य, वीरस्य च न पुनः शेषाणाम् // 178 // फग्गुणिगारसि किण्हा, सुद्धा एगारसी अ पोसस्स / कत्तियबहुला पंचमि, पोसस्स चउद्दसी धवला // 179 // चित्ते गारसि पुन्निम, तह फग्गुणकिन्हछद्विसत्तमिआ / सुद्धा कत्तिअतइआ, पोसंमि चउद्दसी बहुला // 180 // माहेऽमावसि सिअबिअ, पोसे मासंमि धवलछट्ठी अ। वइसाहसामचउदसि, पोसे पुनिम नवमि सुद्धा // 181 //