________________ (32) सबे सिसुणो अमयं, तो उत्तरकुरुफले गिहे उसहो। सेसा उ ओयणाई, भुंजिंसु विसिट्ठमाहारं // 133 / / सवेसि वयगहणे, आहारो उग्गमाइपरिसुद्धो / मल्लिं नेमि मुत्तुं, तेसि विवाहो अ भोगफला // 134 // सर्वे शिशवोऽमृतं, तत उत्तरकुरुफलैगृहे ऋषभः / शेषास्तु-ओदनादि, बुभुजिरे विशिष्टमाहारम् / / 133 // सर्वेषां व्रतग्रहणे, आहार उद्गमादिपरिशुद्धः / मल्लिं नेमि मुक्त्वा, तेषां विवाहश्च भोग्यफलात् // 134 // वीस 1 द्वारस 2 पनरस 3, सड्ढदुवालस 4 दसेव 5 सड्डसगा 6 / पण 7 अड्डाइयलक्खा 8, पुवसहसपन्न 9 पणवीसं 10 // 135 // समलक्खा इगवीसं 11, द्वार 12 पनर 13 सड्ढ सत्त 14 सड्डदुगं 15 / तो सहसा पणवीसा 16, पउणचउबीस 17 इगवीसं 18 // 136 // वाससयं मल्लिजिणे 19, पणसयरी 20 पंचवीस 21 तिनि सया 22 / बासाइँ तीस 23 तीसं 24, कुमरत्तं अह निवइकालो // 137 // विंशत्यष्टादशपश्चदश, सार्द्धद्वादश दशैव सार्द्धसप्त / पश्चार्द्धद्विलक्षाणि, पूर्वसहस्रपञ्चाशत्पञ्चविंशतिः // 135 / / समल:कविंश-त्यष्टादशपञ्चदशसार्द्धसप्तसार्द्धद्विकम् / ततः सहस्रपञ्चविंशतिः, पादोनचतुर्विंशतिरेकविंशतिः // 136 //