________________ . ( 17 ) चुइवेलां निसिअखं, जिणाण 24 एमेव एगसमयंमि / - चुइमासाइ वियारो, भरहेरवएसु सव्वेसु // 69 // .. च्युतिवेला निशार्दू, जिनानामेवमेवैकसमये / च्युतिमासादिविचारो-भरतैरवतेषु सर्वेषु // 69 / / गय 1 वसह 2 सीह 3 अभिसे-य 4 दाम 5 ससि 6 दिणयरं 7 झयं 8 कुंभं 9 / पउमसर 10 सागर 11 विमा-णभवण 12 रयणा 13 ऽग्गि 14 सुविणाई // 70 // गजवृषभसिंहाऽभिषेका-दाम शशिदिनकरा ध्वजः कुम्भः / पद्मसरः सागरविमा-न भवनरत्नाऽग्नयः स्वप्नाः // 70 // नरयउवट्टाण इहं, भवणं सग्गच्चुयाण उ विमाणं / वीरुसहसेसजणणी, नियंसु ते हरिवसहगयाई // 71 // :: नरकोवृत्तानामिह, भवनं स्वर्गाच्च्युतानां तु विमानम् / वीरर्षभशेषजननी, नियमात्तानहरिवृषभगजादीन् // 71 // दुनरयकप्पगिविजा, हरी अ 1 तिनरयविमाण एहिं जिणा 2 / पढमा चक्कि 3 दुनरया, बला 4 चउसुरेहिं चक्कि 3 बला 472 'द्विनरककल्पग्रैवेयकाद्, हरयस्त्रिनरकविमानेभ्योजिनाः / प्रथमाञ्चक्रिणो द्विनरकाद्-बलास्तुर्यसुरेभ्यश्चक्रिवलाः // 72 //