________________ // 30 अहम् // श्रीसोमतिलकसूरिविरचितम् / श्रीसप्ततिशतस्थानप्रकरणम् / श्रीमद्-ऋद्धिसागरसूरिकृतच्छायासहितम् / - ~सिरिरिसहाइजिणिंदे, पणमिय पणमिरसुरासुरनरिंदे / सव्वन्नू गयमोहे, सुहदेसणजणियजणबोहे // 1 // तेसिं चिय चवणाई-पणकल्लाणगकमा समासेणं / पत्तेयं पुव्यभवा-इठाणसत्तरिसयं वुच्छं // 2 // आदिनाथं नमस्कृत्य, गुरुञ्च सुखसागरम् / सप्ततिशतकस्थान-च्छायामृद्धिः करोम्यहम् // 1 // श्रीऋषभादिजिनेन्द्रान, प्रणम्य प्रणभ्रसुराऽसुरनरेन्द्रान् / सर्वज्ञान् गतमोहान् , शुभदेशनाजनितजनबोधान् // 1 // तेषामेव च्यवनादि-पञ्चकल्याणकक्रमात्समासेन / प्रत्येकं पूर्वभवा-दिस्थानसप्ततिशतं वक्ष्ये // 2 // जइ वि हु गणणाईया, जिणाणठाणा हवंति तहवि इहं / उक्किट्ठसमयसंभव-जिणसंखाए इमे ठविया // 3 //