________________ * मूल-माइसकिण्हतेरसि, दोमुसिभ चितपंचमी नेभा / . ... बसाइसुद्धप्रषि, वह चित्तेमुदनवमी 306 // कसिणामागइमारसि, फगुण महवय स्तमी किण्हा // भइवयसुद्धनवमी, वइसाहे बहुलबीया अ // 307 // कसिणा सावण तइया, आसाढे तहय चउदसी सुद्धा / / आमाह कसिणसवषि, सिधपंचमिचित्तनिटेष्ट // 308 // जिटेकसिणातेरसि, वइसाहेपडिव मग्गसिपदसमी॥ फग्गुणसुद्ध दुवालसि, किण्हा नवमीअ जिहास // 309 // वइसाहअसिश्र दसमी, आसाढे सावणेऽमी सुद्धा // कत्तियमावसि सिवमासमाइ भणिआ जिणिदाणं // 310 // छाया-मावस्य कृष्णत्रयोदशी, द्वयोः सितचैत्रपश्चमी झेवा // वैशाखशुद्धाश्मी, तथा चैत्र शुद्ध नवमी च // 306 // कृष्णा मागैकादशी, फाल्गुनभाद्रपदसप्तमी कृष्णा // भाद्रपदशुद्धनवमी, वैशाखे बहुलद्वितीया च // 307 // कृष्णा श्रावणतृतीया, आषाढे तथा च चतुर्दशोशुद्धा // आषाढकृष्मसप्तमी, सित्पश्चमी चैत्रज्येष्ठयोः // 308 // जेष्ठेकृष्णत्रयोदशी, वैशाखेप्रतिपद् पार्यसितदशमी / फाल्गुनशुद्धद्वादशी, कृष्णा नवमी च ज्येष्ठस्य 309