________________ हयं नाणं कियाहीणं, हया अन्नाणो किया / पासंतो पंगुलो दड्ढो, धावमाणो अ अंधओ // 954 // संजोगसिद्धी अ फलं वयंति, न हु एगचक्केण रहो पयाई / अंधो अपंगू य वणए समिच्चा, ते संपणट्ठा नगरं पविट्ठा / / 955 / / सुबहुपि सुअमहिअं, किं काही चरणविप्पहीणस्स / अंधस्स जह पलित्ता, दीवसयसहस्सकोडीओ // 956 / / अपि सुअमहीअं, पयासगं होइ चरणजुत्तस्स / इक्को वि जह पईवो, सचक्खुअस्स पयासेई // 957 / / इत्थीणं जोणीसु, हवंति बेइदिया य जे जीवा / इक्को य दुन्नि तिन्निवि, लक्खपहुत्तं तु उक्कोसं // 958 // तहिं पंचिदिआ जीवा, इत्थीजोणिनिवासिणो / मणुआणं नवलक्खा, सव्वे पासेई केवली // 959 // पुरिसेण सहगयाए, तेसिं जीवाण होइ उद्दवणं / वेणुअ दिट्ठतेणं तत्ताइ सिलागनाएणं // 960 // इत्थीण जोणिमझे, गभंगयाई हवंति जे जीवा / उप्पज्जति चयंति य, समुच्छिमा असंखया भणिया // 961 // मज्जे महुमि मंसंमि, नवणीयंमि चउत्थए / उप्पज्जति अणंता, तव्वण्णा तत्थ जंतुणो // 962 // आमासु अ पक्कासु अ, विपच्चमाणासु मंसपेसीसु / सययं चिय उववाओ, भणिओ अ निगोअ जीवाणं // 963 // आजम्म जपावं, बंधइ मिच्छत्तसजुओ कोइ / वयभंगकाउमणो, बधइ तं चेव अगुण // 964 // . .