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________________ अठदसदोसरहिओ, देवो धम्मो वि निउणदयसहिओ / सुगुरुवि बंभयारी, आरंभपरिग्गहा विरओ // 932 // सव्वाओ वि नईओ, कमेण जह सायरंभि निवडंति / तह भगवई अहिंसं, सब्वे धम्मा समल्लिति // 933 // ससरीरे वि निरीहा, बझंभिंतरपरिग्गहविमुक्का / धम्मोवगरणमित्तं, धरति चारित्तरक्खट्टा // 934 // पासत्थाइवंदमाणस्स, नेव कित्ती न निज्जरा होई / जायइ कायकिलेसो, बंघो कम्मस्स आणाई // 935 // जे बंभचेरभट्ठा, पाए पाडंति बंभयारीणं / ते हुंति टुंटमुंटा, बोहिवि सुदुल्लहा तेसि // 936 // दंसणभट्ठो भट्ठो, दंसणभट्ठस्स नत्थि निव्वाणं / सिझंति चरणरहिआ, दंसणरहिआ न सिमंति // 937 // अरिहं देवो गुरुणो, सुसाहुणो जिणमयं मह पमाणं / इच्चाइ सुहो भावो, सम्म बिति जगगुरुणो // 938 // लब्भइ सुरसामित्तं, लब्भइ पहुअत्तणं न संदेहो / एगं नवरि न लम्भइ, दुल्लहरयणं च सम्मत्तं // 939 // दिवसे दिवसे लक्खं, देइ सुवण्णस्स खडियं एगो / एगो पुण सामोइयं, करेइ न पहुप्पए तस्स 1940 / / निंद पसंसासु समो, समो अ माणावमाणकारीसु / समसयणपरियणमणो, सामाइयसंगओ जीवो // 941 // सामाइअं तु काउं, गिहकज्जं जो विचिंतए सडूढो / अट्टवसट्टोवगओ, निरत्थयं तस्स सामाइयं / / 942 / /
SR No.004473
Book TitlePaia Subhasiya Sangaho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavyadarshanvijay
PublisherPadmavijay Ganivar Jain Granthmala
Publication Year1987
Total Pages124
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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