________________ संमत्तंमि उ लद्धे, पलिअपुहुत्तेण सावगो (होइ) हुज्जा / चरणोवसमखयाणं, सागरसंखतरा होई // 921 // ... विसघाइ रसायण मंगलत्थं विणए पयोहिणावत्ते / गुरुए अडज्झऽकुत्थे, अट्ठ सुवण्णे गुणा हुंति // 922 // इअ मोहविसं घायइ, सिवोवएसारसायणं होइ / . गुणिओ अ मंगलत्थं, कुणइ विणीओ अ जोगत्ति // 923 // मग्गाणुसारि पयाहिण, गंभीरो गुरुअओ तहा होइ / कोहग्गिणा अडज्झो, अकुत्थसइ सीललाभेणं // 924 // वाई अ खमासमणे, दिवायरे वायगत्ति एगट्ठा / पुव्वगयंमि अ सुत्ते, एए सद्दा पउद्भृति // 925 // जह कारणं तु तंतू-पडस्स तेसिं च हुति पम्हाइं / नाणाइतिगस्सेवं, आहारो मोक्ख नेमस्स // 926 // बत्तीसंगुलदीहं, चउवीसं अंगुलाइ दंडो से / सेसदसा पडिपुन्नं, रयहरणं होइ माणेणं // 927 // निच्छयनयस्स चरणायविधाए नाणदंसणवहोऽवि / ववहारस्स उ चरणे, हयंमि भयणा उ सेसाणं // 928 // नवसमएहिं जहन्नं तु, मुहूचे एगएग वुड्ढीए / एगसमएण ऊणं, उकिटं जाव दोघडिअं // 929 // रत्तो दुट्ठो मूढो पुब्बिं बुग्गाहिओ अ चत्तारि / एए धम्मा अणरिहा, अरिहो पुण होइ मज्झत्थो // 930 // चुल्लगा-पासग-धन्ने-जुए-रयणे य सुमिण चक्के अ / चम्म-जुगे-परमाणू-दस दिळंता मणुअलंभे // 931 //