________________ 25 महया वि हु जत्तेणं, बाणो आसन्नलाखमहिगिच्च / मुक्को न जाइ दूरं, इय आसंसाए दाण पि // 244 / / नो तेसिं कुवियं व दुक्खमखिलं आलोयए सम्मुहं / नो मिल्लेइ घरं कम कवडिया दासिब्ब तेसि सिरी / / 245 // सोहग्गाइगुणा चयंति न गुणाबद्धव्य तेसि तणु / जे दाणम्मि समीहियजणणे कुवंति जतं जणा / / 246 / / पुबुत्तगुणविउत्ताण जं धणं दिज्जए कुपत्ताणं / तं खलु धुव्वइ वत्थं, रुहिरेणं चिय रुहिरलित्तं / / 247 / / जीवाणमभयदाण, जो देइ दयावरो नरो निच्चं / तस्सेहं जीवलोए, कत्तो वि, भयं न संभवइ // 248 / / .. अहिंसा / NONYIOLENCE मेरुगिरिकणयदाणं, धन्नाणं जो देइ कोडिरासीओ / इकं च हणइ जीवं, न छुट्टए तेण दाणेण // 249 // कल्लाणकोडिजणणी, दुरन्तदुरियाइविग्यनिट्ठवणी / संसारजलहितरणी, इक्का च्चिय होइ जीवदया // 250 // किं ताए पढियाए, पयकोडीए पलालभूयाए / जं इत्तियं न नायं, परस्स पीडा न कायव्या / / 251 / / सत्वे जीवा वि इच्छंति, जीविउन मरिजिउ / तम्हा पाणिवहं घोरं, निग्गंथा वजयंति ण // 252 / / जो जीववहं काउ', करेइ खणमित्तमप्पणो तित्तिं / छेअणमेअणपमुहं, नरयदुहं सो चिरं लहइ // 253 //