________________ ता किं भएण किं चितिएण किं जुरिएण बहुएण / जइ सोच्चेव वियंभइ, पुव्बको कम्मपरिणामो // 194 // को दाऊण समत्थो, को वा हरिऊण जस्स जं विहियं / ' परिणमइ फलपुत्तय, पुवकम्माणुसारेण // 195 / / नियकम्मेहि वि नीय, उच्च पुरिसा लहन्ति संठाणं / सुरमंदिरकूवयरा, उड्ढद्धमुहा य बच्चन्ति // 196 // एक्कम्मि कुले एकम्मि मंदिरे एककुक्खिसंभूया / एक्को नराण सामी, अन्नो एकस्स असमत्थो / / 197 // कत्थवि जीवो बलिओ, कत्थवि कम्माई, हुंति बलिआई। जीवस्स य कम्मरस य, पुवनिबद्धाई वेराई // 198 // सयमेव कुणसि कम्म, तेण य बाहिज्जसि तुमं चेव / रे जीव अप्पवेरिय, अन्नस्स य देसि किं दोसे // 199 / / नच्चंता कीडन्ता, कम्मं कुम्वन्ति निग्घिणा जीवा / पच्छा तस्स विवागे, रुअंति कलुणं महादुक्खा // 200 / / धारिज्जइ इत्तो जलनिही वि, कल्लोलोभिन्नकुलसेलो। न हु अन्नजम्मनिम्मिअ-सुहासुहो कम्भरिणामो // 201 // किं अत्थि कोइ भुवणम्मि जस्स जायन्ति नेव पावाई। नियकम्मपरिणईए, जम्ममरणाई संसारे // 202 // अकयं को परिभुंजइ सकयं नासिज्ज कस्स किर कम्मं / सकयमणु/जमाणो, कीस जणो दुम्मणो होइ // 203 // घारम्मि गम्भवासे, कलमलजंबालअसुइबीभच्छे / वसिओ अणंतखुत्तो, जीवो कम्माणुभावणं / / 204 //