________________ 13 जं कल्ले काय, तं अज्जं चिय करेह तुरमाणा / बहुविग्यो हु मुहुत्तो, मा अवरण्हं पडिक्खेह // 124 // दिवसनिसाघडिमालं, आउंसलिलं जिआण वित्तण / चन्दाइच्चबइल्ला, कालरहट्ट भमाडेन्ति // 125 // विहवो सज्जणसंगो, विसयसुहाई विलासललियाई / नलिणीदलग्गघोलिर-जललवपरिचञ्चलं सव्वं // 126 // तं कत्थ बलं तं कत्थ, जुब्वण अंगचंगिमा कत्थ / सव्वमणिचं पिच्छह, दिट्ठ नट्ठ कयन्तेण // 127 // खणभंगुरे सरीरे, मणुअभवे अभपडलसारिच्छे / कम्मवसा संबंधो, निबंधो इत्थ को तुज्झ // 128 // खणभंगुर सरीरं, जीवो अन्नो अ सासयसरूवो / सारं इत्तिअमित्तः, जं कीरइ सोहणो धम्मो // 129 // रूवमसासयमेयं, विज्जुलयाचञ्चलं जए जीअं / संझाणुरागसरिसं, खणरमणीअं च तारुनं // 130 // गयकण्णचंचलाओ, लच्छीओ तियसचावसारिच्छं / विसयसुहं जीवाण, बुज्झसु रे जीव ! मा मुज्झ // 131 // जह संझाए सउणाण, संगमो जह पहे य पहिआण / सयणाण संजोगा, तहेव खणभंगुरो जीव // 132 // जीअं जलबिंदुसमं, संपत्तीओ तरङ्गलोलाओ। सुमिणयसमं च पिम्मं, जं जाणसु तं करिज्जासु // 133 // संझारागजलबुब्बओवमे, जीविए जलबिन्दुचंचले / जुब्बणे य नइवेगसंनिभे, पावजीव किमियन बुज्झसे // 134 //