________________ श्रीसूर्यसहस्रनामसङ्ग्रहवयम् // ॐ नमः श्रीसर्वज्ञाय // श्रीजिनसेनाचार्यविरचितं श्रीसूर्यसहस्रनामस्तोत्रम् प्रसिद्धाष्टसहस्रे द्वे, लक्षणा गिरांपतिम् / नाम्नामष्टसहस्रेणाभिष्टुमोऽभीष्टसिद्धये // 1 // श्रीमान् स्वयंभूर्वृषभः, शम्भव: शम्भूरात्मभूः / स्वयंप्रभः प्रभुर्भोक्ता, विश्वभूरपुनर्भवः // 2 // विश्वात्मा विश्वलोकेशो, विश्वतश्चक्षुरक्षरः। विश्वविद् विश्वविद्येशो विश्वयोनिरनश्वरः // 3 // विश्वदृश्वा विभुर्ध्याता, विश्वेशो विश्वलोचनः / विश्वव्यापी विधुर्वेधा.शाश्वतो विश्ववतोमुखः // 4 // विश्वकर्ता जगज्ज्येष्ठो, विश्वमूर्तिर्जिनेश्वरः / विश्वदृग् विश्वभूतेशो, विश्वज्योतिरनीश्वरः // 5 // जिनो जिष्णुर.... विष्णुरीशो जगत्पतिः / अनन्तजिदचिन्त्यात्मा, भव्यबन्धुरबन्धनः // 6 // युगादिपुरुषो ब्रह्मा पञ्चब्रह्ममयः शिवः / परापरतरः सूक्ष्मः, परमेष्ठी सनातनः // 7 // स्वयंज्योतिरजोऽजन्मा, ब्रह्मयोनिरयोनिजः / मोहारिविजयी जेता, धर्मचक्री दयाध्वजः / / 8 / / प्रशान्तारिरनन्तात्मा, योगी योगेभार्चितः / ब्रह्मविद् ब्रह्मतत्त्वज्ञो, ब्रह्मेशो विद्युतीश्वरः // 9 // 162