________________ उवएसमाला (6) जह दाइयम्मिऽवि पहे, तस्स विसेसे पहस्सऽयाणतो। पहिओ किलिस्सइ चिय, तय लिंगायारसुअमित्तो // 416 // कप्पाकप्पं एसणमणेसणं चरणकरणसेहविहिं / पायच्छित्तविहिंऽपि य, दव्वाइगुणेसु अ समग्गं / / 417 // पव्वावणविहिमुठ्ठावणं च अजाविहिं निरवसेसं / उस्सागववायविहिं, अयाणमाणो कहं जयउ ? // 418 / / सीसायरियकमेण य, जगेण गहिया सिप्पसत्थाई / नजंति बहुविहाई न चक्खुमित्ताणुसरियाई // 419 // जह उज्जमिउं जाणइ, नागी तव संजमे उवायविऊ / तह चक्खुमित्तदरिसणसामायारी न याति // 420 // सिप्पाणि य सत्थाणि य, जाणतोऽवि नय जुंजइ जो ऊ / तेसिं फलं न मुंजइ, इअ अजयंतो जई नाणी // 421 // गारवतियपडिबद्धा, संजमकरणुज्जमम्मि सीअंता / निग्गंतूण गणाओ (घराओ) हिंडंति पमायरण्णम्मि // 422 / / नागाहिओ वरतरं, हीणोऽविहु पवृयणं पभावंतो / नय दुक्करं करंतो, सुठुवि अप्पागमो पुरिसो // 423 // नाणाहियस्स नाणं, पुज्जइ नाणा पवत्तए चरणं / जस्स पुण दुण्ह इकंपि नत्थि तस पुजए काइं // 424 / / नागं चरित्तहीणं लिंगग्गहणं च दंसणविहीणं / संजमहीणं च तवं, जो चरइ निरत्थयं तस्स / / 425 / / जहा खरो चंदणभारवाही, भारस्स भागी न हु चंदनस्स / एवं खु नाणी चरणेण हीणो, नाणस्स भागी न हु सुग्गईए // 426 //