________________ उवएसमाला (6) mmmmmmmmm जस्स गुरुम्मि परिभवो, साहूसु अणायरो खमा तुच्छा। धम्मे य अणहिलासो, अहिलासो दुग्गईए उ // 263 // सारीरमाणसाणं, दुक्खसहस्साण वसणपरिभीया / नाणंकुसेग मुणिणो, रागगइदं निरंभंति // 264 // सुग्गइमग्गपईवं, नाणं दितस्स हुन्ज किमदेयं 1 / जह तं पुलिंदएणं, दिन्नं सिवगस्स नियगच्छि // 265 // सिंहासणे निसणं सोवागं सेगिओ नरवारिंदो। विजं मग्गइ पयओ, इअ साहुजणस्स सुअविणओ॥२६६।। विजाए कासवसंतिआए दगसूअरी सिरिं पत्तो / पडिओ मुसं वयंतो, सुअनिण्हवणा इय अपत्था // 267 / / सयलम्मिऽवि जियलोए, तेण इहं घोसिओ अमाघाओ। इकंऽपि जो दुहत्त, सत्तं बोहेइ जिणवयणे // 268 // सम्मत्तदायगाणं, दुप्पडियारं भवेसु बहुएसु / सव्वगुणमेलियाहिऽवि, उवयारसहस्सकोडीहिं // 269 / / सम्मत्तम्मि उ लद्धे, ठइयाई नरयतिरियदाराई / दिव्वाणि माणुसाणि य मोक्खसुहाई सहीणाई // 270 / / कुसमयसुईण महणं, सम्मत्तं जस्स सुट्ठियं हियए। तस्स जगुज्जोयकरं, नागं चरणं च भवमहगं // 271 // सुपरिच्छियसम्मत्तो, नाणेणालोइयऽत्थसब्भावो / निव्वणचरणाउत्तो, इच्छ्यिमत्थं पसाहेइ // 272 / / जह मूलताणए पंडुरम्भि दुव्वण्णरागवण्णेहिं / बीभच्छा पडसोहा, इय सम्मत्तं पमाएहिं // 273 //