________________ उवएसमाला (6) संवच्छरचाउम्मासिएसु अट्ठाहियासु अ तिहीसु / सव्वायरेण लग्गइ जिणवरपूयातवगुणेसु // 241 // साहूण चेइयाण य पडिणीयं तह अवण्णवायं च / जिणपवयणस्स अहिअं, सव्वत्थामेण वारेई // 242 / / विरया पाणिवहाओ, विरया निच्चं च अलियवयणाओ। विरया चोरिकाओ, विरया परदारगमणाओ // 243 // विरया परिग्गहाओ, अपरिमिआओ अणंततण्हाओ / बहुदोससंकुलाओ, नरयगइगमणपंथाओ // 244 // मुक्का दुज्जणमित्ति, गहिया गुरुवयणसाहुपडिवत्ती। मुक्को परपरिवाओ गहिओ जिणदेसिओ धम्मो // 245 / / तवनियमसीलकलिया, सुसावगा जे हवंति इह सुगुणा, तेसिं न दुल्लहाई, निव्वाणविमाणसुक्खाई // 246 // सीइन कयावि गुरु, तंपि सुसीसा सुनिउणमहुरेहिं / मग्गे ठवंति पुणरवि, जह सेलगपंथगो नायं // 247 // दस दस दिवसे दिवसे, धम्मे बोहेइ अहव अहिअयरे / इअ नंदिसेणसत्ती, तहविय से संजमविवत्ती // 248 // कलुसीकओ अ किट्टिकओ अ खयरीकओ मलिणिओ अ। . कम्मेंहिं एस जीवो, नाऊणऽवि मुज्झई जेण // 249 // कम्मेहिं वजसारोवमेहिं जउनंदणोऽवि पडिबुद्धो। सुबहुंपि विसूरंतो, न तरइ अप्पक्खमं काउं / / 250 / / वाससहरसंऽपि जई, काऊणं संजमं सुविउलंपि / अंते किलिट्ठभावो, न विसुज्झइ कंडरीउ व्व // 251 //