________________ उवएसमाला (6) पाणञ्चएऽबि पावं, पिवीलियाएऽवि जे न इच्छति / ते कह जई अपावा, पावाइँ करंति अन्नस्स ? // 175 // जिणपहअपंडियाणं, पाणहराणंऽपि पहरमाणाणं / न करंति य पावाई, पावस्स फलं वियाणता // 176 // वह मारण-अब्भक्खाण-दाणपरधनविलोवणाईणं / सव्वजहन्नो उदओ, दसगुणिओ इक्कसि कयाणं // 177 // तिव्वयरे उ पओसे, सयगुणिओ सयसहस्सकोडिगुणो। कोडाकोडिगुणो वा, हुज विवागो बहुतरो वा // 178 // के इत्थ करेंतालंबणं इमं तिहुयणस्स अच्छेरं / जह नियमा खविरंगी, मरुदेवी भगवई सिद्धा // 179 / / किंपि कहिंपि कयाई, एगे लद्धीहि केहिऽवि निभेहिं / पत्तेअबुद्धलाभा, हवंति अच्छेरयब्भूया // 18 // निहिसंपत्तमहन्नो, पत्थितो जह जणो निरुत्तप्पो / इह नासइ तह पत्तेअबुद्धलद्धि (च्छि)पंडिच्छतो // 181 // सोऊण गई सुकुमालिए तह ससगभसगभइणीए / ताव न वीससियव्वं, सेयट्ठी धम्मिओ जाव // 182 / / खर-करह-तुरय-वसहा, मत्तगइंदाऽवि नाम दम्मति / इक्को नवरि न दम्मइ, निरंकुसो अप्पणो अप्पा // 183 // वरं मे अप्पा दंतो, संजमेण तवेण य / माऽहं परेहिं दम्मतो, बंधणेहिं वहेहि अ॥१८४॥ अप्पा चेव दमेयव्यो, अप्पा हु खलु दुद्दमो / अप्पा दंतो सुही होइ, अस्सि लोए परत्थ य // 185 / /