________________ उवएसमाला (6) वसोऽवि अप्पमाणो, असंजमपहेसु वट्टमाणस्स / किं परिअत्तिअवेसं, विसं न मारेइ खजंतं ? // 21 // धम्म रक्खइ वेसो, संकइ वेसेण दिक्खिओ म्हि अहं / उम्मग्गेण पडतं, रक्खइ राया जणवउव्व // 22 // अप्पा जाणइ अप्पा, जहट्ठिओ अप्पसक्खिओ धम्मो। अप्पा करेइ तं तह, जह अप्पसुहावहं होइ // 23 // जं जं समयं जीवो, आविसइ जेण जेण भावेण / सो तम्मि तम्मि समये, सुहासुहं बंधए कम्मं // 24 // धम्मो मएण हुँतो, तो नवि सीउण्ह-वायविज्झडिओ। संवच्छर मणसिओ, बाहुबली तह किलिस्संतो // 25 / / निअगमइ-विगप्पिअ-चिंतिएण सच्छंदबुद्धिरइएणं / कत्तो पारत्तहिअं कीरइ गुरुअणुवएसेणं 1 // 26 // थद्धो निरोवयारी, अविणीओ गव्विओ निरुवणामो / साहुजणस्स गरहिओ, जणेऽवि वयणिजयं लहइ // 27 // थोवेण वि सप्पुरिसा, सणंकुमारुव्व केइ बुझंति / देहे खणपरिहाणी, जं किर देवेंहिं से कहिया // 28 // जइ ता लवसत्तमसुरविमाणवासीवि परिवडंति सुरा। चिंतिज्जंतं सेसं, संसारे सासयं कयरं ? // 29 // कह तं भण्णइ सुक्खं ? सुचिरणवि जस्स दुक्खमल्लिअइ / जं च मरणावसाणे, भवसंसाराणुबंधिं च // 30 // * उवएससहस्सेहिवि, बोहिजंतो न बुज्झइ कोई / जह बंभदत्तराया, उदायिनिवमारओ चेव // 31 //