________________ सिरिधम्मदासगणी विरइया उवएसमाला। नमिऊणजिणवरिंदे इंदनरिंदचिए तिलोयगुरु / उबएसमालमिणमो वुच्छामि गुरुषएसेणं // 1 // जगचूडामणिभूओ उसभो वीरो तिलोय सिरितिलओ। एगो लोगाइच्चो एगो चक्खुय तिहुअणस // 2 // संवच्छरमुसभजिणो छम्मासावध्धमाणजिणचंदो / इअ विहरिआ निरसणा जइज्ज एओवमाणेणं // 3 // जइता तिलोअनाहो विसहइ बहुआइ असरिसजणस्स / इअ जीअंतकराई, एस खमा सव्वसाहूणं // 4 // न चइज्जइचालेड, महइमहावद्धमाणजिणचंदो। उवसग्गसहरसेवि, मेरू जह वायगुंजाहिं // 5 // भहो विणीअविणओ, पढमगणहरों समत्तसुअनाणी। जाणतोऽवि तमत्थं, विम्हिअहियओ सुणइ सव्वं // 6 // जं आणवेइ राया, पगईओ तं सिरेण इच्छंति / इअ गुरुजणमुहभणिों कयंजलिउडेहिं सोअव्वं // 4 // जह सुरगणाण इंदो, गहगणतारागणाण जह चंदो। जह य पयाण नरिंदो, गणस्सवि गुरू तहाणंदो // 8 // चालुत्ति महीपालो, न पया परिभवइ एस गुरु उवमा / जं वा पुरओ काउं, विहरति मुणी तहा सोवि // 9 //