________________ भत्तपरिणापयन्नो (3) mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm खंडसिलोगेहिं जवो जइ ता मरणाउ रक्खिओ राया। पत्तो अ सुसामन्नं किं पुण जिणउत्तमुत्तेणं ? // 8 // अहवा चिलाइपुत्तो पत्तो माणं तहाऽमरत्तं च / उवसम-विवेग-संवर-पयसुमरणमित्तसुअनाणो // 88 // परिहर छज्जीववहं सम्मं मण-वयण-कायजोगेहिं / जीवविसेसं नाउं जावनीवं पयत्तेगं // 89 // जह ते न पिअं दुक्खं जाणिअ एमेव सव्वजीवागं / सव्वायरमुवठत्तो अत्तोवम्मेण कुणसु दयं // 90 // तुंगं न मंदराओ आगासाओ विसालयं नत्थि / जह तह जयंमि जाणसु धम्ममहिंसासमं नत्थि // 91 // सव्वेवि य संबंधा पत्ता जीवेण सधजीवहिं / तो मारंतो जीवे मारइ संबंधिनो सव्वे // 12 // जीववहो अप्पवहो जीवदया अध्यगो दया होइ / ता सव्वजीवहिंसा परिचता अत्तकामेहिं // 93 // जावइआई दुक्खाई हुंति वउगड्गयस्स जीयस्स / सव्वाइं ताई हिंसाफलाई निउणं विआणाहि // 94 // जंकिंचि सुहमुआरं पहुत्तणं पयइसुंदरं जं च / आरुग्गं सोहग्गं तं तमहिंसाफलं सव्वं // 95 / / पाणोऽवि पाडिहेरं पत्तो छूढोऽवि सुंसुमारदहे / एगेगवि एगदिगाऽज्जिएणऽहिंसाक्यगुणेणं // 16 // परिहर असञ्चवक्णं सव्वंपि चउव्विहं पयत्तेणं / संजमवंतावि जओ भासादोसेण लिप्पंति // 9 //