________________ भवभावना मिओ सहयारवणेसु पिययमापरिगएण सच्छंदं / सरिफ्रण पंचरगओ बहुं विसन्नो विवन्नो य॥ 240 // गहिओ खरनहरबिडालियाए आयड्ढिऊण कंठमि / चिल्लंतो विलवंतो खरो सि तहिं तयं सरसु // 241 // तत्थेव य सच्छंद मुद्दियलयमंडवे यु हिंडतो / जणएण पासएहिं बद्धो खद्धो य जगणीए // 242 // इयतिरियमसंखेसु दीवसमुद्देसुं उड्ढमहलोए / विधिहा तिरिया दुक्खं च बहुविहं केत्तियं भणिमो ? / / 243 // हिमपरिणयसरिसरोवरेसु सीयतुसारसुढियंगा। हियय फुडिऊण मया.बहवे दीसंति जं तिरिया // 244 // वासारत्ते तरुभूमिनिस्सिया रन्नजलपवाहेहिं / वुझंति असंखा तह मरंति सीएण विज्झडिया // 245 // को ताण अणाहाणं रन्ने तिरियाण वाहिविहुराणं / भुयगाइडंकियाण य कुणइ तिगिच्छं व मंतं वा 1 // 246 / / वसणच्छेयं नासाइविंधणं पुच्छकन्नकप्परणं / बंधणताडणडंभणदुहाई तिरिएसुऽगंताई // 247 // मुध्द्रजणवंचगेणं कूडतुलाकूडमाणकरणेण। अट्टवसट्टोवगमण देहघरसरणचिंताहिं // 248 // . कूडक्कयकहणेणं अणंतसो नियडिनडियचित्तेहिं / सावत्थीवणिएहिं व तिरियाउं बज्झए एयं / / 249 / / कालमणंतं एगिदिएसु संखेजयं घंतुणिरएसु। . काऊण केइ म गुया होंति अतो तेण ते भणिमो // 250 //