________________ 117 भवभावना दुट्ठकुडुम्बरस कए करेइ नाणाविहाई पावाइं / भवचक्कम्मि भमंतो एक्कोच्चिय सहइ दुक्खाई // 64 // सयणाइवित्थरो मह एत्तियमेत्तोत्ति हरिसियमणेण / ताण निमित्तं पावाइं जेण विहियाई विविहाई // 65 // नरय तिरियाइएसुं तस्सवि दुक्खाइं अणुहवंतस्स। दीसइ न कोऽवि बीओ जो अंसं गिण्हइ दुहस्स // 66 // भोत्तूण चक्किरिद्धिं वसिउं छक्खंडवसुहमज्झम्मि / एको वच्चइ जीवो मोर्चे विहवं च देहं च // 6 // एक्को पावइ जम्मं वाहिं वुहृत्तणं च मरणं च / एक्को भवंतरेसुं वच्चई को कस्स किर बीओ ? // 68 // इय एकोच्चिय अप्पा जाणिजसु सासओ तिहुयणेऽवि / थकंति महुनिवस्स व जणकोडीओ विसेसाओ // 69 // अन्नं इमं कुडुम्बं अन्ना लच्छी सरीरमवि अन्नं / मोत्तुं जिणिंदधम्मं न भवंतरगामिओ अन्नो // 70 // विन्नाया भावाणं जीवो देहाइयं जडं' वत्थु / जीवो भवंतरगई थकंति इहेव सेसाई // 71 // जीवो निच्चसहावो सेसाणि उ भंगुराणि वत्थूणि। विहवाइ बझहे उब्भवं च निरहेउओ जीवो // 72 // बंघइ कम्मं जीवो भुंजेइ फलं तु सेसयं तु पुणो। धणसयणपरियणाई कम्मस्स फलं च हेउं च // 73 // इय भिन्नसहावत्ते का मुच्छा तुज्झ विहवसयणेसु ? / किं वावि होजिमेहिं भवंतरे तुह परित्ताणं ? // 74 //