________________ च्छन्दः शास्त्रगणेऽखिले वस्कुले जात्या विशिष्टेप्यहो मन्येऽकारनिदर्शनं गुरुलघुस्थित्याहतो वाचकम् // 21 // // 1 // पू.आ.श्रीचक्रेश्वरसूरिविरचितम् // सिद्धान्तसारोद्धारः // अइविसमरागकेसरिनरिंदनिद्दारणम्मि जसपसरो। जस्सऽज्जवि धवलइ तिहुयणंपि नमिऊण तं वीरं जंबुद्दीवड्डाइयदीवसमुद्दाण 2 तहय दीवाणं.। जंबुपमुहाण विच्चायलस्स नंदीसरंताणं // 2 // विक्खंभो तह परिही गणियपयं पिहु पिहुं भणिस्सामि 3 / मेरुस्स वि मूलतले भूमितले उवरिमतलम्मि // 3 // विक्खंभे परिगणियं 4 मेरुस्स वि लक्खजोयणुच्चत्तं 5 / / जामुत्तरासु लक्खो ६पच्छिमपुव्वासु तह लक्खो 7 // 4 // जंबुद्दीवस्स 7 तहा नरखित्ते माणुसाण परिमाणं 8 / वरिससयआऊयाणं उस्सासाईपरीमाणं 9 // 5 // समयाइसीसपहेलियंतसंखाणयं च जिणभणियं 10 / संखेज्ज ११मसंखेजं१२अणंतयं पि य 13 भणिस्सामि // 6 // पोग्गलपरियट्ट पि य 14 इय चउदसदारसंजुयं भणिमो। मंदमईबोहणत्थं सिद्धंतुद्धारसारमिणं // 7 // इह तिल्लपूयपडिपुन्नचंदसंठाणसंठिओ रम्मो / सव्वलोगस्स मज्झे जंबुद्दीवो हवइ लक्खं // 8 // तं पुण दुगुणेण वित्थरेण चाउद्दिसि परिक्खिवइ / लवणो तं पि य धायइ तदुगुणो तं च कालोओ // 9 // ક