________________ एगा कोडाकोडी सत्ताणउई भवे सयसहस्सा। पन्नासं च सहस्सा कुलकोडीणं मुणेयव्वाः // 967 // पुढविदगअगणिमारुये एक्केक्के सत्त जोणिलक्खाओ। वणपत्ते य अणंते दस चउदस जोणिलक्खाओ... // 968 // विगलिंदिएसु दो दो चउरो चउरो य नारयसुरेसुं। तिरिएसु होति चउरो चउदस लक्खा य मणुएसु // 969 // समवन्नाइसमैया बहवो वि हु जोणिलक्खभेयाओ। सामन्ना घिप्पंतिह एक्कगजोणीइ गहणेणं // 970 // काल्यं द्रव्यषट्कं नवपदसहितं जीवषट्कायलेश्या: पञ्चान्ये चास्तिकाया व्रत-समिति-गति-ज्ञान-चारित्र-भेदाः / इत्येते मोक्षमूलं त्रिभुवनमहितैः प्रोक्तमहद्भिरीशैः, प्रत्येति श्रद्दधाति स्पृशति च मंतिमान् यः स वै शुद्धदृष्टिः // 971 / / एयस्स विवरणमिणं तिक्कालमईयवट्टमाणेहिं / होइ भविस्सजुएहिं दव्वच्छक्कं पुणो एयं // 972 // धम्मत्थिकायदव्वं दव्वमहम्मत्थिकायनामं च। आगास-काल-पोग्गल जीवदव्वस्सरूवं च // 973 // जीवाजीवा पुन्नं पावाऽऽसव-संवरो य निज्जरणा। बंधो मोक्खो य इमाई नवपयाई जिणमयम्मि // 974 // जीव च्छक्कं इग बि ति चउ पणिदिय अणिदियसरूवं / छक्काया पुढवि जलानल वाउ वणस्सइ तसेहिं // 975 // छल्लेसाओ कण्हा नीला काऊ य तेउ पउम सिया। कालविहीणं दव्वच्छक्कं इह अत्थिकायाओ // 976 // पाणिवह मुसावाए अदत्त मेहुण परिग्गहेहि इहं / पंच वयाइं भणियाइं पंच समिईओ साहेमि // 977 //