________________ एयं करेमि एवं कयं मए इममहं करिस्सामि / सो दीहकालसन्नी जो इय तिक्कालसन्नधरो // 919 // जे उण संचिंतेउं इट्ठाणिढेसु विसयवत्थूसुं / वत्तंति नियत्तंति य सदेहपरिपालणाहेउं // 920 // पाएण संपइच्चिय कालम्मि न यावि दीहकालम्मि। ते हेउवायसन्नी निन्न्चेट्ठा हुँति हु असन्नी . // 921 // सम्मद्दिट्ठी सन्नी संते नाणे खओवसमिए य। असन्नी मिच्छत्तम्मि दिट्ठिवाओवएसेणं // 922 / / आहार भय परिग्गह मेहुण रूवाओ हुंति चत्तारि। सत्ताणं सन्नाओ आसंसारं समग्गाणं // 923 // आहार भय परिग्गह मेहुण तह कोह माण माया य। लोभो ह लोग सन्ना दस भेया सव्वजीवाणं // 924 // आहार भय परिग्गह मेहुण सुह दुक्ख मोह वितिगिच्छा। तह कोह माण माया लोहे लोगे य धम्मोघे // 925 // चउसद्दहण तिलिंगं दसविणय तिसुद्धि पंचगयदोस / अट्ठपभावण भूसण लक्खण पंचविहसंजुत्तं . // 926 // छव्विहजयणाऽऽगारं छब्भावाण भावियं च छट्ठाणं / इय सत्तयसट्ठिलक्खणभेयविसुद्धं च सम्मत्तं // 927 // परमत्थसंथवो वा सुदिट्ठपरमत्थसेवणा वा वि। वावन्न कुदंसणवज्जणा य सम्मत्तसद्दहणा // 928 // सुस्सूस धम्मराओ गुरुदेवाणं जहासमाहीए। . वेयावच्चे नियमो सम्मद्दिटुस्स लिंगाइं . // 929 // अरहंत सिद्ध चेइय सुए य धम्मे य साहुवग्गे य / आयरिय उवज्झासु य पवयणे दंसणे या वि // 930 //