________________ पल्हवि हत्थुत्थरणं कोयवओ रूयपूरिओ पडओ। दढगाली धोयपोत्ती सेस पसिद्धा भवे भेया // 679 // खरडो तह वोरुट्ठी सलोमपडओ तहा हवइ जीणं / सदसं वत्थं पल्हविपमुहाणमिमे उ पज्जाया // 680 // देविंद राय गिहवइ सागरि साहम्मि उग्गहे पंच। अणुजाणाविय साहूण कप्पए सव्वया वसिउं : // 681 // अणुजाणावेयव्यो जईहिं दाहिणदिसाहिवो इंदो। .. भरहम्मि भरहराया जं सो छक्खंडमहिनाहो .. // 682 / / तह गिहवई वि देसस्स नायगो सागरि त्ति सेज्जवई / साहम्मिओ य सूरि जम्मि पुरे विहियवरिसालो // 683 // तप्पडिबद्धं तं जाव दोणि मासे अओ जईण सया। अणणुन्नाए पंचहि वि उग्गहि कंप्पइ न ठाउं // 684 // खुहा पिवासा सी उण्हं दंसा चेला रइथिओ। चरिया निसीहिया सेज्जा अक्कोस वह जायणा // 685 // अलाभ रोग तणफासा मल सक्कार परीसहा। . पन्ना अन्नाण सम्मत्तं इइ बावीसं परीसहा // 686 // दसणमोहे दंसणपरीसहो पन्नऽनाण पढमम्मि / चरमेऽलाभपरीसह सत्तेव चरित्तमोहम्मि // 687 // अक्कोस अरइ इत्थी निसीहियऽचेल जायणा चेव / सक्कारपुरक्कारे एक्कारस वेयणिज्जम्मि // 688 // पंचेव आणुपुव्वी चरिया सेज्जा तहेव जल्ले य। . वह रोग त्तणफासा सेसेसुं नत्थि अवयारो // 689 // बावीसं बायरसंपराय चउद्दस य सुहुमरायम्मि / छउमत्थवीयरागे चउदस एक्कारस जिणम्मि / // 690 // 58