________________ उव्वत्तंति परावत्तयंति पडिवण्णअणसणं चउरो।। तह चउरो अब्भंतर दुवारमूलम्मि चिटुंति // 631 // संथारयसंथरया चउरो चउरो कहिति धम्मं से। चउरो य वाइणो अग्गदारमूले मुणिचउक्कं // 632 // चउरो भत्तं चउरो य पाणियं तदुचियं निहालंति / चउरो उच्चारं परिटुवंति चउरो य पासवणं. // 633 // चउरो बाहिं धम्म कर्हिति चउरो य चउसुवि दिसासु / चिटुंति उवद्दवरक्खया सहसजोहिणो मुणिणो // 634 // ते सव्वाभावे ता कुज्जा एक्केक्कगेण ऊणा जा। तप्पासट्ठिय एगो जलाइअण्णेसओ बीओ // 635 // इरियासमिएसया जए उवेह भुंजेज्ज पाणभोयणं / / आयाणनिक्लेवदुगुंछ संजए समाहिए संजयए मणो वई // 636 // अहस्ससच्चे अणुवीय भासए जे कोह लोह भय मेव वज्जए / से दीहरायं समुपेहिया सया, मुणी हु मोसंपविज्जए सिया // 637 // सयमेव उ उग्गहजायणे घडे, मइमं निसम्मा सइ भिक्खु उग्गहं / अणुन्नविय भुंजीय पाणभोयणं जाइत्ता साहम्मियाण उग्गहं / / 638 // आहारगुत्ते अविभूसियप्पा इत्थी न निज्झाय न संथवेज्जा। बुद्धे मुणी खुड्डकहं न कुज्जा, धम्माणुपेही संधए बंभचेरं / / 639 // जे सद्द रूव रस गंधमागए फासे य संपप्प मणुण्णपावए / गेहिं पओसं न करेज्ज पंडिए से होइ दंते विरए अकिंचणे॥ 640 // कंदप्पदेव किब्बिस अभिओगा आसुरी य सम्मोहा-। एसा हु अप्पसत्था पंचविहा भावणा तत्थ // 641 // कंदप्पे कुक्कुइए दोसीलत्ते य हासकरणे य। परविम्हियजणणे वि य कंदप्पोऽणेगहा तह य // 642 // 54