________________ // 311 // // 312 // // 313 // // 314 // // 315 // // 316 // दंसण विणए आवस्सए य सीलव्वए निरइयारो / खणलव तव च्चियाए- वेयावच्चे समाही य . अप्पुव्वनाणगहणे सुयभत्ती- पवयणे पभावणया / एएहि कारणेहिं तित्थयरत्तं लहइ जीवो संघो पवयणमित्थं गुरुणो धम्मोवएसयाईया। सुत्तत्थोभयधारी बहुस्सुया होति विक्खाया जाईसुयपरियाए पडुच्च थेरो तिहा जहकमेणं / सट्ठीवरिसो समवायधारओ वीसवरिसो य भत्ती पूया वन्नप्पयडण वज्जणमवन्नवायस्स / आसायणपरिहारो अरिहंताईण वच्छल्लं नाणुवओगोऽभिक्खं दंसणसुद्धी य विणयसुद्धी य / आवस्सयजोएसुं सीलवएसुं निरइयारो संवेमभावणा झाणसेवणं खणलवाइकालेसु / तवकरणं जइजणसंविभागकरणे जहसमाही वेयावच्चं दसहा गुरुमाईणं समाहिजणणं च। .. किरियादारेण तहा अपुव्वनाणस्स गहणं तु आगमबहुमाणो च्चिय तित्थस्स पभावणं जहासत्ती / एएहि कारणेहिं तित्थयरत्तं समज्जिणइ मरुदेवी विजय सेणा सिद्धत्था मंगला सुसीमा य / पुहवी लक्खण समा नंदा विण्हू जया सामा सुजसा सुव्वय अइरा सिरी देवी पभावई य / पउमावई य वप्पा सिव वम्मा तिसला इय नाभी जियसत्तू य जियारि संवरे इय / मेहे धरे पइढे य महसेणे य खत्तिए . . 27. // 317 // // 318 // // 319 // // 320 // // 321 // // 322 //