________________ पंचासीई पण्णत्तरी अ पण्णट्ठि पंचवण्णा य। सत्तरस सयसहस्सा पंचमए आउयं होइ . // 574 // पंचासीइ सहस्सा पन्नट्ठी चेव तहय पन्नरस। ... बारस सयाई आउं बलदेवाणं जहासंखं // 5751 चक्कं१ खग्गं२ (च) धणू३. मणीय४ माला तहा गया६ संखे७ / एए सत्त (उ रयणा) सव्वेसि वासुदेवाणं // 576 / सिज्जंसाइजिणाणं पंचण्हं पवयणे जहाकमसो। केसवपणगं तेविट्टपमुहनामेण संजायं // 577 / अरमल्लिअंतरे दुन्नि पुरिसपुंडरीयदत्तनामाणो / सुव्वयनमिनारायण कण्हो नेमिस्स तित्थम्मि // 578 / एगो य सत्तमीए पंच य छट्ठीय पंचमी एगो। एगो य चउत्थीए कण्हो पुण तंच्चपुढवीए ... // 579 / अयलाईया अट्ठ वि सिद्धिगया बंभलोय नवमो य। / दससागराउ भरहे सिज्झिस्सइ कण्हतित्थम्मि // 580 / अनियाणकडा रामा सव्वे वि य केसवा नियाणकडा / उड्ढुंगामी रामा केसव सव्वे अहोगामी // 581 / सोलस रायसहस्सा सव्वबलेणं तु संकलनिबद्धं / अंछंति वासुदेवं अगडतडम्मि ठियं संतं // 582 / चित्तूण संकलं सो वामगहत्थेण अंछमाणाणं / भुंजिज्ज व लिंपिज्ज व महुमहणं ते न चायंति // 583 // जं केसवस्स य बलं तं दुगुणं होइ चक्कवट्टिस्स।. तत्तो बला बलवगा अपरिमियबला जिणवरिंदा // 584 // वामभुजगा पढमेण धारिया सा सिरम्मि बीएणं / तइएण कंठदेसे नेइ चउत्थो उ वच्छयले // 585 24