________________ उवगरणवत्थपत्ताइयाण वसहीण पुत्तयाणं च / जुज्झिस्संति कएणं जह नरवइणों कुटुंबीणं // 504 / एगे तवगारविया अन्ने सिढिला सकज्जकिरियासु / मच्छरवसेण दुन्नि वि होर्हिति अपुट्ठधम्माणो // 505 / केवलमणोहिचउदसदसनवपुव्वीहि विरहिए इण्डिं। सुद्धमसुद्धं चरणं को जाणइ कस्स भावं वा? // 506 // अइसयरहिओ कालो दाहिणजम्मो छिवट्ठसंघयणं / भासमहग्गह होंडवसप्पिणी य विसमपंचमयं // 507 // भरहाईखित्तेसुं केई दीसंति संपयं जीवा। गंतूण महाविदेहे दसम्मि वरिसे सिवं जंति // 508 // अंते सो साहूणं गोवाडनिरोहणं करेऊणं / मग्गिही भिक्खभागं तो पाडिवओ य आयरिओ // 509 // संघो काउस्सग्गं अच्छीही जाव ताव सक्कस्स / होही आसणकंपो आगंतुं तो वहेसी य // 510 // छासीई वासाइं राया सो होइऊण अह एवं / गच्छिहि पुणो नरयं कक्कीराओ त्ति मे कहिओ. // 511 // सक्केण कक्किपुत्तो दत्तो ठविओ य सासिओ धम्मे / अवही जाईसरणं उप्पज्जिही चित्तसुपसत्था // 512 // विक्कमचरियहु राणहु जित्तउ वट्टइ कालु / हरि पंचूणउ चालुसउ सेसउ 135 सग्गु कालु . // 513 // तेसिओ धम्मेण उयय नवसयाई [छस्सयपणय समेय हरि] सगकालं जिणा मुणसु तं च (?) / सुन्नमुणिवेयजुत्तं विक्कमकालाओ जिणकालं 268